तुम्हें हुस्न अपना दिखाया कहाँ है।
गज़ल
काफिया- आया
रदीफ़- कहाँ है
122……122……122……122
तुम्हें हुस्न अपना दिखाया कहाँ है।
गज़ल गीत नगमा सुनाया कहाँ है।
जिसे देख लूं उसको अपना बना लूं,
अभी तो वो जादू चलाया कहाँ है।
जो है बात दिल की, रखी है वो दिल में,
अभी प्यार तुमसे जताया कहाँ है।
जो जीवन के पथ का अँधेरा हटा दे,
अभी तुमने दीपक जलाया कहाँ है।
है दुनियां का स्वादिष्ट सबसे निवाला,
वो अम्मा के हाथों से खाया कहाँ है।
खुदा दे मुझे पेट भर दाल रोटी,
अभी पेट ज्यादा बढ़ाया कहाँ है।
तुम्हें प्रेम का गीत कैसे सुना दूं,
अभी मुझको प्रेमी बनाया कहाँ है।
…….✍️ सत्य कुमार प्रेमी