तुम्हें सुकूँ सा मिले।
क्या लिखूं जिसे पढ़के तुम्हें सुकूँ सा मिले।
खुशबू बन के तेरी रूह में उतरू तू फूल सा खिले।।1।।
माना कि आज तू है बड़े ही रंज ओ गम में।
ना करना कुछ ऐसा जो खुद को फिजूल सा लगे।।2।।
पास जाकर देखो तेरी तिश्नगी बुझ जायेगी।
आबे समंदर दूर से बिल्कुल उजली धूल सा दिखे।।3।।
तेरे हर गम को हम खुद में जज्ब कर लेेंगें।
करले कबूल मेरे रिश्ते को तू मुझे महबूब सा लगे।।4।।
ये मेरी सारी ही सांसे तेरे नाम कर रहा हूं।
तुझे रखूंगा पलकों पर कोई गम तुझे छू ना सके।।5।।
जिंदगी को तेरी चांद सितारों से भर दूंगा।
प्यार दूंगा इतना कि तू मुझे कभी भूल ना सके।।6।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ