Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
17 Oct 2023 · 1 min read

थोड़ा थोड़ा

एक दिन सब कुछ तज के जाना,
अभी से थोड़ा थोड़ा छोड़।
मन मर्कट भागे बेतहाशा,
इसको थोड़ा थोड़ा मोड़।

बचपन में खूब खेला कूदा,
जीवन क्या कुछ पता नहीं।
यौवन मय पी झूमा कितना,
मुख से सकता बता नहीं।
प्रौढ़ हुआ तो किया कमाही,
भरा तिजोरी रुपया जोड़।
एक दिन सब कुछ तज के जाना,
अभी से थोड़ा थोड़ा छोड़।

कार खरीदा महल बनाया,
घूमा बन कर शैलानी।
साँसों की पूंजी को खोया,
कदम कदम किया नादानी।
सौ का सहस सहस का लाखों,
लाखों से बढ़ किया करोड़।
एक दिन सब कुछ तज के जाना,
अभी से थोड़ा थोड़ा छोड़।

मानव तन मिला हरी कृपा से,
खोजो कोई मीत सजन।
भक्ति की युक्ति ले गुरु से,
निश दिन लगकर करो भजन।
सुमिरन करके राम रिझाओ,
चित को अनहद धुन में जोड़।
एक दिन सब कुछ तज जाना है,
अभी से थोड़ा थोड़ा छोड़।

जब तक सतगुर मिले न प्यारे,
तब तक खोजो द्वारे द्वारे।
पूरा गुरू मिलेगा जिस दिन,
नाम जपन सिखला देगा,
सुमिरन भजन किया यदि चित से,
अंदर हरि दिखला देगा।
सब्र सन्तोष क्षमा अपनाओ,
क्यों करना है किसी से होड़।
एक दिन सब कुछ तज के जाना,
अभी से थोड़ा थोड़ा छोड़।

सतीश सृजन, लखनऊ।

Language: Hindi
303 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Satish Srijan
View all
You may also like:
"दिल बेकरार रहेगा"
Dr. Kishan tandon kranti
-शेखर सिंह
-शेखर सिंह
शेखर सिंह
बहुत बरस गुज़रने के बाद
बहुत बरस गुज़रने के बाद
शिव प्रताप लोधी
किसी भी चीज़ की आशा में गवाँ मत आज को देना
किसी भी चीज़ की आशा में गवाँ मत आज को देना
आर.एस. 'प्रीतम'
जो हार नहीं मानते कभी, जो होते कभी हताश नहीं
जो हार नहीं मानते कभी, जो होते कभी हताश नहीं
महेश चन्द्र त्रिपाठी
पत्थर - पत्थर सींचते ,
पत्थर - पत्थर सींचते ,
Mahendra Narayan
हवाओ में हुं महसूस करो
हवाओ में हुं महसूस करो
Rituraj shivem verma
रुसवा दिल
रुसवा दिल
Akash Yadav
!! निरीह !!
!! निरीह !!
Chunnu Lal Gupta
कया बताएं 'गालिब'
कया बताएं 'गालिब'
Mr.Aksharjeet
बेटी नहीं उपहार हैं खुशियों का संसार हैं
बेटी नहीं उपहार हैं खुशियों का संसार हैं
Shyamsingh Lodhi (Tejpuriya)
फूल और खंजर
फूल और खंजर
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
यलग़ार
यलग़ार
Shekhar Chandra Mitra
मेरी साँसों से अपनी साँसों को - अंदाज़े बयाँ
मेरी साँसों से अपनी साँसों को - अंदाज़े बयाँ
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
मैं तुम्हारे ख्वाबों खयालों में, मद मस्त शाम ओ सहर में हूॅं।
मैं तुम्हारे ख्वाबों खयालों में, मद मस्त शाम ओ सहर में हूॅं।
सत्य कुमार प्रेमी
■ अक़्सर...
■ अक़्सर...
*Author प्रणय प्रभात*
💐प्रेम कौतुक-222💐
💐प्रेम कौतुक-222💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
"ब्रेजा संग पंजाब"
Dr Meenu Poonia
24/251. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
24/251. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
तीन मुक्तकों से संरचित रमेशराज की एक तेवरी
तीन मुक्तकों से संरचित रमेशराज की एक तेवरी
कवि रमेशराज
*वर्तमान पल भर में ही, गुजरा अतीत बन जाता है (हिंदी गजल)*
*वर्तमान पल भर में ही, गुजरा अतीत बन जाता है (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
यह मेरी इच्छा है
यह मेरी इच्छा है
gurudeenverma198
सागर की ओर
सागर की ओर
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
*****रामलला*****
*****रामलला*****
Kavita Chouhan
गलती अगर किए नहीं,
गलती अगर किए नहीं,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
गुजारे गए कुछ खुशी के पल,
गुजारे गए कुछ खुशी के पल,
Arun B Jain
जीत मनु-विधान की / मुसाफ़िर बैठा
जीत मनु-विधान की / मुसाफ़िर बैठा
Dr MusafiR BaithA
सरहद
सरहद
लक्ष्मी सिंह
हर एक मंजिल का अपना कहर निकला
हर एक मंजिल का अपना कहर निकला
कवि दीपक बवेजा
वाणी से उबल रहा पाणि💪
वाणी से उबल रहा पाणि💪
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
Loading...