तुम्हें समर्पण
शीर्षक??
तुम्हें समर्पित
??लेखक कालूराम जी अहिरवार??
>> तेरे नाम के बाद ही मेरी याद आती है ।
किसी और को हासिल हो तुम फिर भी तुम्हारी बात होती है ।
तुम्हें देखने के बाद जिंदगी में नई बाहर आती है।
दोस्ती से ही प्यार की शुरुआत होती है।
ऐ वक्त ठहर जा तेरे प्यार से ही मेरी जिंदगी की शुरुआत होती है।
यादें जिंदगी का हिस्सा बन कर रह जाती है ।
लम्हे पल बनकर जिंदगी मैं ठहर जाते हैं।
तब जाके इतिहास में हमारी बात होती है ।
वक्त निकल जाता है और यादें रह जाती है ।
भविष्य में कहीं जाकर कहानियां इतिहास होती है ।
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तुम्हें समर्पित
??
कालूराम अहिरवार
8120650431
ग्राम जगमेरी जिला भोपाल
हमीदिया कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय b.a. सेकंड ईयर स्टूडेंट