तुम्हें चाहना
तुम्हें चाहना एक चुनौती
है प्रियतम
न तुम दिखाई देते हो,
न तो सुनाई देते हो
न कभी मिलते हो
न ही चलते हो
साथ मेरे, प्रत्यक्ष होकर।
तुम्हारी सर्वस्वता तक
पहुँचने के लिए
होना पड़ेगा शून्य मुझे
मिटना होगा… हर पल
देखो ना !
कैसे प्रेमी हो तुम
मिटा ही देते हो
चाहने वाले को
तुम्हें चाहने की बस यही एक
शर्त है—
कि बचूंँ ही नहीं
तुम्हें चाहने के लिए।
-आकाश अगम