” तुम्हारे संग रहना है “
डॉ लक्ष्मण झा “परिमल ”
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कभी तुम पास आती हो
कभी तुम दूर जाती हो
मेरे सपनों में आ करके
कभी मुझको सताती हो
तुम्हारी याद को लेकर
मेरे तो दिन गुजरते हैं
तुम्हें पाने की चाहत में
सुबह और शाम ढलते हैं
तुम्हारी खुशबूयेँ प्यारी
अभी तक याद है मुझको
सिरहाने में उसे रखकर
करू एहसास मैं तुझको
मिलूँगा जब कभी तुमसे
सभी बातें तो होगीं ही
तुझे देखूँगा जी भरके
मिलन रातें तो होगीं ही
अधूरी प्यास है अपनी
उसे मुझको बुझाना है
बहुत अब हो गई दूरी
तुम्हारे संग रहना है
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डॉ लक्ष्मण झा “परिमल ”
साउंड हेल्थ क्लिनिक
एस ० पी ० कॉलेज रोड
दुमका
झारखंड
13.03.2023