तुम्हारे लिए
मेरी दिनचर्या का पल पल तुम्हें लेकर चलता है
तुम बताओ तुम्हारा काम धाम कैसा चलता है
क्या अब भी रोती हो पहले और फिर
चुप कराने वाले पर गलतियाँ डाल देती हो
है क्या कोई जो प्यार से समझता है तुम्हें
और तुम अपना सारा गुस्सा निकाल देती हो
हाँ माफी भी वह बार-बार मांग ही लेता होगा
तुम सब याद रखती हो या दिमाग से निकाल देती हो
हाँ प्यार में गुस्सा करना तो तुम्हारा जायज है
पर क्या कभी उसकी परेशानी भी संभाल लेती हो
क्या उसे कभी रोते देख दिल दुखता है
या अब भी मुझे बहुत काम है कहकर टाल देती हो
हाँ मैं तो हासिल कर पाऊँ कुछ यह उम्मीद ना थी
पर तुम भविष्य अच्छा जान लेती हो
सच कहा था तुमने कि देखे हैं तुमने कई लोग सफल
सफल एक तरह से और इसे सच मान लेती हो
हाँ मेरी सफलता के मानक कुछ अलग थे
पर क्या फर्क पड़ता है तुम कहाँ ध्यान देती हो
तुम खुश रहना
मैं खुश हो जाऊंगा
तुम सब कहना
मैं चुप हो जाऊंगा
-मोहन तुम्हारा