Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
12 Apr 2017 · 1 min read

तुम्हारे मिलकर जाने के बाद…

क्या रहस्य है यह
आखिर क्यों हो जाता है
बेमानी और नागफनी-सा दिन
तुम्हारे मिलकर जाने के बाद…

क्यों हो जाती है उदास मेरी
तरह घर की दीवारें-सोफा
मेज पर धरी गिलास-तश्तरियाँ
और हंसता-बतियाता पूरा का पूरा घर…

क्यों डरने लगते हैं हम मन ही मन मौत से तुम्हारे मिलकर जाने के बाद…

क्यों हमारी पूरी दुनिया और खुशियाँ
सिमटकर समा जाती है तुम्हारे होठों की मुस्कुराहटों में
तुम्हारे मिलकर जाने के बाद…

क्यों घंटो हँसता और बोलता बतियाता
रह जाता हँ मैं तुमसे
तुम्हारे जाने के घंटों बाद भी…

क्यों महसूसने लगता हूँ मैं
एक अजीब-सी रिक्तता और व्याकुलता
तमाम सुख सुविधाओं के होते हुए भी
तुम्हारे जाने के बाद…

क्यों बार-बार तुम्हारी ही पहलू में
लौट जाने को मचलता है मन
सागर की लहरों की तरह…

क्यों उलझा रहने को करता है मन
तुम्हारे ही ख्यालों विचारों में दिन-रात
माला में धागा की तरह तुम्हारे मिल कर जाने के बाद…

डॉ. विवेक कुमार
तेली पाड़ा मार्ग, दुमका, झारखंड।
(सर्वाधिकार सुरक्षित

Language: Hindi
1 Like · 521 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
घड़ी
घड़ी
SHAMA PARVEEN
Bus tumme hi khona chahti hu mai
Bus tumme hi khona chahti hu mai
Sakshi Tripathi
विज्ञान का चमत्कार देखो,विज्ञान का चमत्कार देखो,
विज्ञान का चमत्कार देखो,विज्ञान का चमत्कार देखो,
पूर्वार्थ
दुकान वाली बुढ़िया
दुकान वाली बुढ़िया
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
धड़कनें जो मेरी थम भी जाये तो,
धड़कनें जो मेरी थम भी जाये तो,
हिमांशु Kulshrestha
छोड़ कर महोब्बत कहा जाओगे
छोड़ कर महोब्बत कहा जाओगे
Anil chobisa
"सम्बन्धों की ज्यामिति"
Dr. Kishan tandon kranti
न किजिए कोशिश हममें, झांकने की बार-बार।
न किजिए कोशिश हममें, झांकने की बार-बार।
ओसमणी साहू 'ओश'
'व्यथित मानवता'
'व्यथित मानवता'
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
धन्यवाद बादल भैया (बाल कविता)
धन्यवाद बादल भैया (बाल कविता)
Ravi Prakash
ग़ज़ब है साहब!
ग़ज़ब है साहब!
*Author प्रणय प्रभात*
हाथ छुडाकर क्यों गया तू,मेरी खता बता
हाथ छुडाकर क्यों गया तू,मेरी खता बता
डा गजैसिह कर्दम
मुझको चाहिए एक वही
मुझको चाहिए एक वही
Keshav kishor Kumar
मेरा विषय साहित्य नहीं है
मेरा विषय साहित्य नहीं है
Ankita Patel
जो हार नहीं मानते कभी, जो होते कभी हताश नहीं
जो हार नहीं मानते कभी, जो होते कभी हताश नहीं
महेश चन्द्र त्रिपाठी
एक तुम्हारे होने से....!!!
एक तुम्हारे होने से....!!!
Kanchan Khanna
कविता
कविता
Rambali Mishra
माँ
माँ
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
23/164.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/164.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
कुछ फूल तो कुछ शूल पाते हैँ
कुछ फूल तो कुछ शूल पाते हैँ
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
*तेरे इंतज़ार में*
*तेरे इंतज़ार में*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
नहीं भुला पाएंगे मां तुमको, जब तक तन में प्राण
नहीं भुला पाएंगे मां तुमको, जब तक तन में प्राण
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
💐प्रेम कौतुक-484💐
💐प्रेम कौतुक-484💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
गीत
गीत
प्रीतम श्रावस्तवी
आटा
आटा
संजय कुमार संजू
अपनी क़ीमत
अपनी क़ीमत
Dr fauzia Naseem shad
रंगोत्सव की हार्दिक बधाई
रंगोत्सव की हार्दिक बधाई
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
टूटा हूँ इतना कि जुड़ने का मन नही करता,
टूटा हूँ इतना कि जुड़ने का मन नही करता,
Vishal babu (vishu)
ठोकरें कितनी खाई है राहों में कभी मत पूछना
ठोकरें कितनी खाई है राहों में कभी मत पूछना
कवि दीपक बवेजा
..सुप्रभात
..सुप्रभात
आर.एस. 'प्रीतम'
Loading...