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19 Feb 2024 · 1 min read

तुम्हारे नफरत ने मुझे

तुम्हारे नफरत ने मुझे ,फिर से जीना सिखाया
कुछ दिन तो तकलीफ में कटी दिन – रात ।

ठोकर खा कर फिर से चलना सिखाया दिया
आंधकर की ओर चल कर, नई राह दिखा दिया।

माफी मांग ली और सजा भी मांग ली
दुखते दिल की फरियाद भी सुन दी।

रहम तो नहीं मिला ,बेवफाई के दामन में
सिमट कर जिंदगी के गम को पीता रहा ।

बस चुप- चाप रह कर ,दिन बिता दिया
अश्क को कुछ ना बोले रोके रखा ।

यादों की याददाश्त को कमजोर करने की
हारे खिलाड़ी की तरह कोशिश करता रहा ।

अभी भी सूखे – सुलगते सवाल के घेरे में
सवालो की तलाश में सावन को बदल दिया।।

Language: Hindi
1 Like · 56 Views
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