Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
16 Oct 2021 · 1 min read

तुम्हारे जैसी हस्ती तो नहीं _ मुक्तक

तुम्हारे जैसी हस्ती तो नहीं ,फिर भी मस्ती में रहता हूं।
मुबारक हो तुम्हे रंगीनियां मैं निर्धन बस्ती में रहता हूं।। मुझे बस फिक्र है यही मुझे कहीं तुम डुबो तो न दोगे।
बैठो तुम यान में चाहे मैं कागज़ की कश्ती में बहता हूं।
राजेश व्यास अनुनय

Language: Hindi
1 Like · 197 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
डाल-डाल पर फल निकलेगा
डाल-डाल पर फल निकलेगा
Anil Mishra Prahari
आज दिवस है  इश्क का, जी भर कर लो प्यार ।
आज दिवस है इश्क का, जी भर कर लो प्यार ।
sushil sarna
आदमी की गाथा
आदमी की गाथा
कृष्ण मलिक अम्बाला
*निकला है चाँद द्वार मेरे*
*निकला है चाँद द्वार मेरे*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
ये न पूछ के क़ीमत कितनी है
ये न पूछ के क़ीमत कितनी है
सिद्धार्थ गोरखपुरी
साँप और इंसान
साँप और इंसान
Prakash Chandra
कितना बदल रहे हैं हम ?
कितना बदल रहे हैं हम ?
Dr fauzia Naseem shad
सोनपुर के पनिया में का अईसन बाऽ हो - का
सोनपुर के पनिया में का अईसन बाऽ हो - का
जय लगन कुमार हैप्पी
पितरों के सदसंकल्पों की पूर्ति ही श्राद्ध
पितरों के सदसंकल्पों की पूर्ति ही श्राद्ध
कवि रमेशराज
...........,,
...........,,
शेखर सिंह
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
3007.*पूर्णिका*
3007.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
गिरने से जो डरते नहीं.. और उठकर जो बहकते नहीं। वो ही..
गिरने से जो डरते नहीं.. और उठकर जो बहकते नहीं। वो ही.. "जीवन
पूर्वार्थ
विषय:- विजयी इतिहास हमारा।
विषय:- विजयी इतिहास हमारा।
Neelam Sharma
"" *भगवान* ""
सुनीलानंद महंत
और ज़रा भी नहीं सोचते हम
और ज़रा भी नहीं सोचते हम
Surinder blackpen
सौंदर्य मां वसुधा की
सौंदर्य मां वसुधा की
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
विवाह
विवाह
Shashi Mahajan
जच्चा-बच्चासेंटर
जच्चा-बच्चासेंटर
Ravi Prakash
अपनी सत्तर बरस की मां को देखकर,
अपनी सत्तर बरस की मां को देखकर,
Rituraj shivem verma
होटल में......
होटल में......
A🇨🇭maanush
"मैं आग हूँ"
Dr. Kishan tandon kranti
#स्मृति_शेष (संस्मरण)
#स्मृति_शेष (संस्मरण)
*प्रणय प्रभात*
नारी सम्मान
नारी सम्मान
Sanjay ' शून्य'
In the middle of the sunflower farm
In the middle of the sunflower farm
Sidhartha Mishra
पापा आपकी बहुत याद आती है !
पापा आपकी बहुत याद आती है !
Kuldeep mishra (KD)
बहुत हुआ
बहुत हुआ
Mahender Singh
दीया इल्म का कोई भी तूफा बुझा नहीं सकता।
दीया इल्म का कोई भी तूफा बुझा नहीं सकता।
Phool gufran
* मुक्तक *
* मुक्तक *
surenderpal vaidya
कलरव में कोलाहल क्यों है?
कलरव में कोलाहल क्यों है?
Suryakant Dwivedi
Loading...