तुम्हारे जैसी हस्ती तो नहीं _ मुक्तक
तुम्हारे जैसी हस्ती तो नहीं ,फिर भी मस्ती में रहता हूं।
मुबारक हो तुम्हे रंगीनियां मैं निर्धन बस्ती में रहता हूं।। मुझे बस फिक्र है यही मुझे कहीं तुम डुबो तो न दोगे।
बैठो तुम यान में चाहे मैं कागज़ की कश्ती में बहता हूं।
राजेश व्यास अनुनय