तुम्हारे आगे, गुलाब कम है
तुम्हारे आगे, गुलाब कम है
हरेक शय का, हिसाब कम है
नमक वो तुझमें, कि चाँद फीका
वो रौशनी आफ़ताब कम है
ऐ दिलरुबा तू, न समझी मुझको
ये इश्क़ क्या बेहिसाब कम है
ये हुस्न तेरा, परी जमाल-सा
अदा भी क्या लाजवाब कम है
ये ज़िन्दगी इम्तिहान जैसी
सवाल ज़्यादा, जवाब कम है
फ़क़ीर बेबस, है ज़िन्दगी भी
ये वक़्त जैसी, नवाब कम है
–महावीर उत्तरांचली