तुम्हारी ही मानेंगे जी
सफेद धवल वस्त्र धारण तो कर लिए।
चरित्र भी उज्जवल अपना बनाइए।।
घोषित चुनाव होते दौड़े दौड़े चले आते
हो जाते हो गुम कहां इतना बताइए।।
बार बार वादे करो करते न पूरा कोई।
कहां तक माने बात अब ना सताइए।।
तुम्हारी ही मानेंगे जी, हमारी भी सुनिए जी।
चुन लेंगे तुम्हे हमारा सपना सजाइए।।
राजेश व्यास अनुनय