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2 Dec 2016 · 1 min read

तुम्हारी याद

कविता
तुम्हारी याद

*अनिल शूर आज़ाद

कॉलेज के/चार वर्षों में
जब भी तुम/पीरियड में नही आई
तुमसे कोई/परिभाषित रिश्ता
नही होने के बावजूद
हर बार/लगा
तुम/ अपने पीछे
एक अज़ीब सूनापन
छोड़ गई हो
(जिसे केवल/तुम्हीं
भर सकती हो!)

कॉलेज की/कक्षा में
मैं/आज भी हूं
स्टूडेंट-बेंच से
लेक्चर-टेबल पर
आ गया हूं

ढ़ेरों चेहरे हैं/ मेरे सामने
पर भीतर.. सिर्फ तुम्हारी
अनगिनत/यादें हैं..बस..

(रचनाकाल : वर्ष 1988)

Language: Hindi
486 Views
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