तुम्हारी यादें ।
नमन ? :- साहित्यपीडिया मंच
कुछ ख़त मोहब्बत के लिए रचना
-: तुम्हारी यादें !:-
आँखों से मेरे आँसू बहने दो ,
मत रहो मेरे पास, बस अपनी यादें रहने दो ।
चांदनी रातें में जो बांटे थे सुख , वे रहने दो ,
अंधेरी रात में जो दुख देकर गयी वे अब सहने दो ।
पार्क , बाग़ में बैठकर किये थे, जो बातें,
अब उस बातें को रहने दो ,
जो पूरा नहीं हुआ चाहत , उन चाहत को रहने दो ।
तुम्हारे आने की जो आगाज़ थी , उस पल को रहने दो ,
तुम्हारे जाने से जो हम रोशन को ग़म मिला,
अब उस ग़म को सहने दो ।
तुम्हारी जो घुँघरू की आवाज थी, उस आवाज को सुनने दो,
जो तुम्हारे लिए रखें थे प्रेम की बातें ,
अब उन बातों को कहने दो ।
तुम्हारी जो आने की मार्ग थी, उस मार्ग को निखारते रहने दो,
तुम आओ या मत आओ , बस हमारी इंतजार जारी रहने दो ।
पतझड़ में दी थी होंठों पर मुस्कान, उस मजे को रहने दो ,
भरी बंसत में जो देकर गयी सजा , उस सजे को सहने दो ।
पास रहो या मत रहो ,
बस मेरी आँखों से आँसू बहने दो ।।
✍️ रोशन कुमार झा
कोलकाता
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज