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4 Jun 2023 · 1 min read

तुम्हारी खुशी

तुम्हारी खुशी और खुशी मेरी तुमसे।
ये दोनों मिले हैं, मिले जब से तुमसे।।
तुम्हारे लिए ही तो, मैं जी रहा हूँ।
मिले मुझको जबसे, खुशी मिल गई है।।
तुम्हारी खुशी की, दुआ कर रहा हूं।
कभी हंस रहा हूँ, कभी रो रहा हूँ।।
मुबारक हो तुमको, घड़ी आने वाली।
ये दुआ है सभी की, जो रंग ला रही है।।

तुम्हारी खुशी और खुशी मेरी तुमसे।
तुम्हारे लिए ही तो, मैं जप कर रहा हूँ।।
तुम रखो ध्यान अपना, करो ध्यान उसका।
वो सब का है मालिक, रखें ध्यान सबका।।
कहते हैं सब के, जने राम लक्ष्मण।
जने या तो लवकुश, लगे प्यारे-प्यारे।।
है कान्हा और हलदर, लगे सबको प्यारे।
मगर इनमें एक को, बहुत गुस्सा आता।।

मैं कहता हूँ तुमसे, तुम भक्तों को जनना।
तुम भजलो अभी बस, भरत राम को ही।।
संसार सारा ये, कहता है अब तक।
ये दोनों सहनशील, बहुत ही बड़े थे।।
बड़ा भाई राम सा, नहीं कोई मिलता।
भरत चाह में तो, राम भी खड़े हैं ।।
मैं छोटा हूँ जानू, मगर कहता दिल से।
तुम सोचो बस इनको, ये घर आ रहे हैं ।।
===============================
“ललकार भारद्वाज”

Language: Hindi
1 Like · 177 Views
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