तुम्हारा प्यार अब नहीं मिलता।
ग़ज़ल
122……212……122…..2
तुम्हारा प्यार अब नहीं मिलता।
गुले गुलज़ार अब नहीं मिलता।
मैं तेरा इंतेजार करता हूॅं,
तेरा इज़हार अब नहीं मिलता।
जो बाहें डाल देती थी गले में,
गले का हार अब नहीं मिलता।
तेरे बाहों में थी मेरी दुनियां,
वही संसार अब नहीं मिलता।
कहां देखूं मैं चाॅंद सा चेहरा,
कोई रुखसार अब नहीं मिलता।
जिसे चिंता हो माल की मेरे,
वो चौकीदार अब नहीं मिलता।
बहुत करते हैं प्यार प्रेमी को,
वो मां का प्यार अब नहीं मिलता।
……..✍️ प्रेमी