तुम्हारा पहला पहला प्यार
तुम्हारा पहला पहला प्यार
उस दिल में आशाएंँ अगणित
इस में ज़ख़्म हज़ार ।
होंठो से हर पनघट रूठा क्या जानो
मुरली से मुरलीधर छूटा क्या जानो
सपनों में आती थीं माखन की छवियांँ
नींद नयन का नाता टूटा क्या जानो
बिन राधा कैसा कान्हा का
एकाकी संसार
तुम्हारा पहला पहला प्यार!
कविताएंँ मेरी कविताई तुम ले लो
हे पंछी पछुआ पुरवाई तुम ले लो
गंगा! जन्नत की तन्हाई मेरी है
शिव के जूड़े की गहराई तुम ले लो
कैसा होगा मुक्त पवन का
दीपक से व्यापार
तुम्हारा पहला पहला प्यार !
-आकाश अगम