तुम्हारा दर्द है तुम ही मिटा दो
गज़ल
1222………1222……..122
तुम्हारा दर्द है तुम ही मिटा दो।
दिले नासाज की तुम ही दवा दो।
घुटेगा दम ये कैसे जी सकेंगे,
खुदा के वास्ते ताजी हवा दो।
हे परमानंद माधव हे रमापति,
करो दुख दूर मत कोई वबा दो।
कुएं की मेंढकी ज्यों बंद घर में,
है बेहतर सौ गुना कोई सजा दो।
गले मिलना, न मुमकिन दूर रहना,
कि दूरी आपसी बिल्कुल मिटा दो।
खिलें फिर फूल भौंरे गुनगुनाएं,
कहाँ पिउ बोले कोयल सुर सुना दो।
सभी से प्रेम करना काम मेरा,
मैं प्रेमी हूँ मुझे कान्हाँ बना दो।
…..✍️ प्रेमी