तुम्हारा घर चलाने कौन आता है
खि़जां में फूल खुशबू के खिलाने कौन आता है
किसी के जख़्म पर मरहम लगाने कौन आता है
जो भी आता है वो आता है लेकर अश्क आँखों में
तिरी दुनिया मेें अब हँसने हँसाने कौन आता है
चले आये हैं सारे लोग बस चेहरा दिखाने को
जनाजे में भला मातम मनाने कौन आता है
चुनावों में लगा देते हैं वादों की झड़ी सारे
मगर फिर बाद में वादा निभाने कौन आता है
सभी आते हैं रोटी सेंकने इन तंग गलियों में
गरीबों के लिए चूल्हा जलाने कौन आता है
ये माना कि चलाता है वो सारे देश को लेकिन
बताओ तो तुम्हारा घर चलाने कौन आता है