तुमसे दूर चला जाऊंगा
एक दिन तो मैं भी प्रिय, तुमसे दूर चला जाऊंगा
खट्टा मीठा संस्मरण बन, दिल में तेरे आऊंगा
होता है अफसोस और दुख,अपने जन को खोने का
पर आनी जानी दुनिया में, काम ना करना रोने का
गुस्सा कर लेना मन में, तकरार और तीखी बातों का
याद आए अंतर्मन में, बक्त सुखद जज्बातों का
यही रीत है इस दुनिया की, कौंन भुला पाता है
अच्छे बुरे वक्त में प्रियजन, याद बहुत आता है
कितने बिछड़ गए जीवन में, दिल में बसे हुए हैं
छोड़ गए हैं दुनिया फिर भी, दिल से नहीं गए हैं
दुनिया के मेले में, आना और जाना लगा हुआ
पूरा हुआ समय जीवन का, हर शख्स हुआ धुआं धुंआ
मैं भी तो एक दिन है प्रिय, धुआं धुआं हो जाऊंगा
मर कर भी हूं अमर आत्मा, जन्म कहीं पा जाऊंगा
सत्य शांति दया क्षमा, मनुज जन्म का प्रतिफल है
पा जाऊं प्रिय इसी जन्म में, जीवन का यही सुफल है
इसलिए प़िय माटी पर, हरगिज ना अश्क बहाना
स्वर्णिम यादों में बस जाऊं, यही जगत से पाना
सुरेश कुमार चतुर्वेदी