तुमने… देखा है ए दोस्त
इंसानियत से गिरते किसी को देखा है… दोस्त
जब कोई गिर जाता, पतली लकिन मजबूत धारदार इंसानियत की दीवार से
एक सड़ांध सी उठती है
उसके बदबूदार, सड़े हुए दिमाग से
वो मांस का लोथड़ा तो नहीं
मगर…खुद के ही जिंदा देह में
मरा हुआ, सड़ा हुआ पशु होता है
जिसकी सड़ांध से
पूरी मानवता का नथुना फूला रहता है
तुमने… देखा है ए दोस्त
~ सिद्धार्थ