तुम,दर-दर से पूछ लो
फिर रहे हैं दर बद्दर, तुम, दर दर से पूछ लो
कि मेरे सफर का निशां हर शहर से पूछ लो
न खत लिखा कोई न किसी की याद आई है
मिले अरसा गुजर गया, मेरे घर से पूछ लो
बिखर गई हैं टूट कर कितनी जिस्म से शाखें
तुफां के कहर की कथा तुम शजर से पूछ लो
कि वो कौन है जिसने तुम्हें आयत सा रट लिया
नाम “इंदर” ही आयेगा हर पहर से पूछ लो
हम कर नहीं सकते बयां शब्दों में हाल ए दिल
मेरे हृदय की व्यथा मेरे नजर से पूछ लो
~ इंदर भोले नाथ
बागी बलिया उत्तरप्रदेश