तुमको नमन
आज शहादत पर उन वीरों की
कितनों के झुकते हैं शीश।
देश के लिए बलिदान हो गये
स्वतंत्र भारत जिनकी है बख्शीश।
स्मरण है किस किसको आज
जिनके बूते आज़ादी मिली।
जो असली नायक थे उनके
समाधि पर शमा भी न जली।
काम किसी का नाम किसी का
यही है अब तो दुनियादारी।
करने वाले त्याग कर गये
जानती है यह दुनिया सारी।
आओ हम इन वीर बांकुरों
के पराक्रम का स्मरण करें।
उन देश भक्तों से कुछ सीखें
हम बहादुरों को नमन करें।
भगतसिंह सुखदेव राजगुरु
शौर्य व वीरता की थी त्रिमूर्तियाँ।
फिरंगियों के षड्यंत्रों से
आज शहीद हुईं थीं विभूतियाँ।
भारत के नागरिक के रूप में
है यह हमारा भी दारोमदार।
उनको वह सम्मान दिलाओ
जिसके थे असली हकदार।
रंजना माथुर
अजमेर (राजस्थान )
मेरी स्व रचित व मौलिक रचना
©