तुझ को अपना बनाना चाहती हूं।
तुझ को अपना बनाना चाहती हूं।
रात को रोशन बनाना चाहती हूं।।
कैसे काटे ये चांदनी पूरी रात अब।
अपने चांद को बुलाना चाहती हूं।।
मिलन हो जाए बस एक दूजे का।
भू को गगन से मिलाना चाहती हूं।।
समाए रहते हो मेरे दिल में हर पल।
दिल से दिल को सुलाना चाहती हूं।।
छिपा रक्खी है कुछ मन में बाते मैने।
मन की बाते तुमको बताना चाहती हूं।।
लिख दे न सारी बाते रस्तोगी कही मेरी।
इसलिए उससे बाते छिपाना चाहती हूं।।
आर के रस्तोगी गुरुग्राम