तुझे पाने की उम्मीद में मेरी जान इस कदर खो गये
तुझे पाने की उम्मीद में मेरी जान इस कदर खो गये,
कितनी राते काटी तन्हा न जाने कब नींद मे सो गये ,
उल्फतो की आॅधिया कुछ इस कदर हम पर छा गयी ,
लाख आई आॅध्िाया पर वो हम पर छा गये ,
रो रही है ऑख मेरी अश्क मेरे झर रहे है ,
अपनी वेदना को भूलकर उनकी ही बातें कर रहे है,
हो रही है जमाने में ही बातें मेरी ,
कह रहा पागल जमाना गहलोत दीवाना हो रहा है ,
आ रही है फिजाओ और हवाओ में महोब्बत की मधुर गंध ,
हो रहा मदहोश क्यु यह जमाना प्यार में ,
संभलो मेरे यारों ना करो तुम प्यार इस कदर,
कि उसके न मिलने पर जमाना छोड दो उन्माद में ,
न करो उन्माद में यु इश्क बेपनाह बेखबर ,
जब मिलेगा धोखा तुम्हे अपने प्यार में ,
हो न जाये आॅखे तुम्हारी नरम इस एतबार में ,
करो न इश्क मेरे यारा इस जहॉ संसार में ,
तुझे पाने की उम्म्ीद में मेरी जान इस कदर खो गये ,
कितनी राते काटी तन्हा न जाने कब नींद में सो गये ,
भरत गहलोत
जालोर राजस्थान
सम्पर्क -7742016184