तुझे चाहना मेरी भूल थी
तुझे चाहना मेरी भूल थी
तुझे पाना मेरी आदत बन गई
हाथ जब भी उठे दुआ में रब से
हर घड़ी दिल की इबादत बन गई
तेरा मासूम सा चेहरा
और वो प्यारी सी मुस्कान
सुनसान गलियों की तू आहट बन गई
तुझे चाहना मेरी भूल थी
तुझे पाना मेरी आदत बन गई
यूँ तो हर शख्स है उलझा
मोहब्बत के जंजाल में
अपनी पहचान अपने सपने
भूल बैठा इसी सवाल में
वो कौन थी? वो क्या थी?
बस आज क़यामत बन गई
तुझे चाहना मेरी भूल थी
तुझे पाना मेरी आदत बन गई