Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
8 Jun 2019 · 1 min read

तुझे चलना होगा (कविता)

जब तक सूरज चंदा चमके
इस अमूल्य धरा का मान रहे

सत्य अहिंसा के पथ पर
नित हमारे स्वाभिमान रहे

नहीं चाहिए धन और दौलत
सादा जीवन उच्च विचार रहें

नफ़रत, द्वेष से दूर रहें हम
सदा आपस में प्यार रहे

कोशिश यही करनी चाहिए
चाहे जितना हो जीवन में संघर्ष
लड़खड़ाए नहीं हमारे कदम

जैसे रोज सूरज नित नई प्रेरणा लिए
किरणों से सुशोभित दस्तक देता ही है
चंदा टिमटिमाते तारों के बीच चमकता ही है

वृक्ष भी परिवर्तनीय ऋतु के साथ निस्तब्ध खड़े
आगाह करते हुए अपने संदेश में कहता है
चाहे कितनी धूप-छांव हो आंधी-कराल हो
जिसमें कई छटा के रंग बिखेरती है प्रकृति

ऐसे ही जीवन में विषम परिस्थिति में भी
ऐ मानव तू हिम्मत ना हार
चलता चल तू बढ़ता चल
तुझे तो है तेरी राह चलना
चांद और सूरज सा दमकना

Language: Hindi
2 Likes · 345 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Aarti Ayachit
View all
You may also like:
शब्द
शब्द
ओंकार मिश्र
शुभ दिन सब मंगल रहे प्रभु का हो वरदान।
शुभ दिन सब मंगल रहे प्रभु का हो वरदान।
सत्य कुमार प्रेमी
बिखरी बिखरी जुल्फे
बिखरी बिखरी जुल्फे
Khaimsingh Saini
बात ! कुछ ऐसी हुई
बात ! कुछ ऐसी हुई
अशोक शर्मा 'कटेठिया'
ये गजल नही मेरा प्यार है
ये गजल नही मेरा प्यार है
Basant Bhagawan Roy
वसंत पंचमी की शुभकामनाएं ।
वसंत पंचमी की शुभकामनाएं ।
डा. सूर्यनारायण पाण्डेय
शुभ प्रभात मित्रो !
शुभ प्रभात मित्रो !
Mahesh Jain 'Jyoti'
बाट का बटोही कर्मपथ का राही🦶🛤️🏜️
बाट का बटोही कर्मपथ का राही🦶🛤️🏜️
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
'आभार' हिन्दी ग़ज़ल
'आभार' हिन्दी ग़ज़ल
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
शब्द से शब्द टकराए तो बन जाए कोई बात ,
शब्द से शब्द टकराए तो बन जाए कोई बात ,
ज्योति
राष्ट्रपिता
राष्ट्रपिता
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
सुशब्द बनाते मित्र बहुत
सुशब्द बनाते मित्र बहुत
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
(((((((((((((तुम्हारी गजल))))))
(((((((((((((तुम्हारी गजल))))))
Rituraj shivem verma
मुक्तक
मुक्तक
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
विचारों की आंधी
विचारों की आंधी
Vishnu Prasad 'panchotiya'
सोचा नहीं कभी
सोचा नहीं कभी
gurudeenverma198
#जी_का_जंजाल
#जी_का_जंजाल
*Author प्रणय प्रभात*
हुनर
हुनर
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
तुम्हें तो फुर्सत मिलती ही नहीं है,
तुम्हें तो फुर्सत मिलती ही नहीं है,
Dr. Man Mohan Krishna
स्वयं आएगा
स्वयं आएगा
चक्षिमा भारद्वाज"खुशी"
लम्हों की तितलियाँ
लम्हों की तितलियाँ
Karishma Shah
2898.*पूर्णिका*
2898.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
चाय बस चाय हैं कोई शराब थोड़ी है।
चाय बस चाय हैं कोई शराब थोड़ी है।
Vishal babu (vishu)
मेरा भूत
मेरा भूत
हिमांशु Kulshrestha
सनातन संस्कृति
सनातन संस्कृति
Bodhisatva kastooriya
तुम मेरे हो
तुम मेरे हो
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
गर जानना चाहते हो
गर जानना चाहते हो
SATPAL CHAUHAN
धर्म का मर्म समझना है ज़रूरी
धर्म का मर्म समझना है ज़रूरी
Dr fauzia Naseem shad
शर्म शर्म आती है मुझे ,
शर्म शर्म आती है मुझे ,
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
तुम लौट आओ ना
तुम लौट आओ ना
Anju ( Ojhal )
Loading...