तुझसे लगाई प्रीत ———!( घनाक्षरी छंद)
तुझसे लगाई प्रीत,तूने न निभाई मीत।
प्रेम रीत में तो अरे, होता नहीं ऐसा है।।
पैसा वैसा आना जाना,माना तेरा है जमाना।
याराना हमारा यारा,कभी नहीं ऐसा है।।
दिल में अभी भी प्रीत, गाते हम यही गीत।
प्रेम में न हार जीत,प्रेम नहीं पेशा है।।
मान बात मेरी यारा,साथ मिले फिर प्यारा।
अंतर्मन में आज भी तो,प्रेम का ही रेशा है।।
राजेश व्यास अनुनय