तुझको अपनी प्रीत मुबारक
तुझको अपनी प्रीत मुबारक
आधे और अधूरे रंग हो
तेरा हिया रंगूँ रंग अपने
यूँ तुझको अपना कर जाऊँ मैं
तुझको अपनी प्रीत मुबारक
लिए धनक के रंग सभी
अपनी आँखों के काजल से
नाम तेरे फागुन लिख जाऊँ मैं
तुझको अपनी प्रीत मुबारक
अंतर्मन का संगीत मौन
पर प्रेम विह्वल हो अधर कहे
तुझको नगमा अपना कर जाऊँ मैं
तुझको अपनी प्रीत मुबारक
अपने सपनो के धागों से
इक चदरिया बुन जाऊँ
तुमको केसरिया कर जाऊँ मै
तुझको अपनी प्रीत मुबारक
झीलों में जो रहे खिले
कितने ही रंगीन कंवल
उनके प्रतिबिंबो से कह दूँ मैं
तुझको अपनी प्रीत मुबारक