Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
5 Jan 2025 · 1 min read

तीस की उम्र में

तीस की उम्र में
तुम प्रेम नहीं कर सकते
हाँ जीवन काटने के लिए,
किसी साथी का चयन जरूर कर सकते हो..
प्रेम,
समझ के पहले की घटना है”

14 Views

You may also like these posts

*स्वयं से मिलन*
*स्वयं से मिलन*
ABHA PANDEY
मां के कोख से
मां के कोख से
Radha Bablu mishra
आस्था का घर
आस्था का घर
Chitra Bisht
साजन तुम आ जाना...
साजन तुम आ जाना...
डॉ.सीमा अग्रवाल
ज़हनी मौत
ज़हनी मौत
Shekhar Chandra Mitra
दोहा पंचक. . . विविध
दोहा पंचक. . . विविध
sushil sarna
व्यस्त रहते हो
व्यस्त रहते हो
पूर्वार्थ
आप सा मीत कौन है
आप सा मीत कौन है
नूरफातिमा खातून नूरी
*आगे आनी चाहिऍं, सब भाषाऍं आज (कुंडलिया)*
*आगे आनी चाहिऍं, सब भाषाऍं आज (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
मार्ग ढूंढने निकले थे रास्ते में एक मोड़ आया
मार्ग ढूंढने निकले थे रास्ते में एक मोड़ आया
Sonam Puneet Dubey
मेरी खामोशी का
मेरी खामोशी का
Nitu Sah
गणेश वंदना (धत्तानंद छंद )
गणेश वंदना (धत्तानंद छंद )
guru saxena
पिता
पिता
प्रदीप कुमार गुप्ता
उम्र तो गुजर जाती है..... मगर साहेब
उम्र तो गुजर जाती है..... मगर साहेब
shabina. Naaz
वफा से होकर बेवफा
वफा से होकर बेवफा
gurudeenverma198
Under This Naked Sky I Wish To Hold You In My Arms Tight.
Under This Naked Sky I Wish To Hold You In My Arms Tight.
Manisha Manjari
चलो अब लौटें अपने गाँव
चलो अब लौटें अपने गाँव
श्रीकृष्ण शुक्ल
बहू बेटी है , बेटी नहीं पराई
बहू बेटी है , बेटी नहीं पराई
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
"संयोग"
Dr. Kishan tandon kranti
అతి బలవంత హనుమంత
అతి బలవంత హనుమంత
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
प्यार का नाम देते रहे जिसे हम अक्सर
प्यार का नाम देते रहे जिसे हम अक्सर
Swami Ganganiya
एक बूँद पानी💧
एक बूँद पानी💧
Madhuri mahakash
आवाज दिल की
आवाज दिल की
Diwakar Mahto
एक सत्य मेरा भी
एक सत्य मेरा भी
Kirtika Namdev
पीर- तराजू  के  पलड़े  में,   जीवन  रखना  होता है ।
पीर- तराजू के पलड़े में, जीवन रखना होता है ।
Ashok deep
अध्यापिका
अध्यापिका
Shashi Mahajan
4431.*पूर्णिका*
4431.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
बड़ा सुंदर समागम है, अयोध्या की रियासत में।
बड़ा सुंदर समागम है, अयोध्या की रियासत में।
जगदीश शर्मा सहज
सबने सब कुछ लिख दिया, है जीवन बस खेल।
सबने सब कुछ लिख दिया, है जीवन बस खेल।
Suryakant Dwivedi
विगत दिवस जो रंग थे जीवन के अब दाग हो गए
विगत दिवस जो रंग थे जीवन के अब दाग हो गए
पं अंजू पांडेय अश्रु
Loading...