तीन शेर (महंगी दावतें)
तीन शेर
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(1)
बिगाड़ा है चलन तुमने जो महंगी दावतें कर के
हमारे बच्चों की अब जाने होंगी शादियाँ कैसे ?
(2)
ये महंगी दावतें ,सौ-सौ लगे स्टाल खाने के
मिटाकर अपनी हस्ती, ये तमाशे रोज होते हैं
(3)
चलन पर चलने का मतलब अगर है खुदकुशी तो फिर
जमाना कुछ कहे चाहे, जमाने का चलन बदलो
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रचयिता: रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा
रामपुर (उ.प्र..)मो.9997615451