तीन रूप में होती नारी
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?एक गीत?
तीन रूप में होती नारी,
बचपन में लगती वह प्यारी।
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बचपन होता बहुत अनूठा,
बात बात में रूठा रूंठा।
मम्मी की वह लाड़ो रानी,
पापा की वह राज दुलारी।
तीन रूप में होती नारी।।
बातें बीत गयीं बचपन की,
अब आयीं रातें यौवन की।
छूट गया बाबुल का आँगन ,
पिया मिलन का आया सावन।।
दुल्हन बनकर गयी वहां से,
कर अर्पण सब दुनिया दारी।
तीन रूप में होती नारी।।
प्रीतम के घर में आकर तब,
सज़ा दिया घर का आँगन सब।
भूल गयी सब अपना यौवन।
करके अपना अर्पित जीवन।
हुयी ख़ुशी से ही गदगद तब,
बनी बालकों की महतारी।
तीन रूप में होती नारी।।
?अटल मुरादाबादी✍️