तीन पहेलियाँ (प्यास पहेली)
तीन पहेलियाँ (प्यास पहेली)
१
तीन अक्षरों का मैं हूँ नर l
मन से गायब गायब डर ll
अंत अक्षर कहे, कर हाजिर l
प्रथम दो, कहे खुद में हाजिर ll
जब आये हो सब लाल लाल l
पांचवी पंक्ति में मुझे सम्भाल ll
मैं रखूं हूँ, विजयी का ख्याल l
अब खत्म करो यह मायाजाल ll
२
तीन अक्षरों की मैं हूँ नार l
काम करने को सदा तैयार ll
मध्य हटे, बनू बनू खजाना l
प्रथम हटे, शिखर है ठिकाना ll
आ कर बोलूं, कोई हो बख्शीश l
पांचवी पंक्ति, करे पूर्ण ख्वाइश ll
चाहूँ चाहूँ, महनत का दान l
हो समझ को खुशियाँ प्रदान l
३
चार अक्षरों का हूँ नर l
तंग करने को आतुर ll
अंत दो अक्षर, दे समाधान l
तीसरा चौथा, पाला मान ll
कौन सा लाल लाये हल l
पांचवी, दे मुस्कुराती शक्ल ll
भर भर कर कान ही कान l
अब मुस्कुरा, ले मुझे पहचान ll
अरविन्द व्यास “प्यास”
व्योमत्न