तीज जैसा व्रत कठिन करती रही;
एक गीतिका देवी स्वरूप पतिव्रत धर्म पालन करनेवाली मातृशक्ति को समर्पित
*****************************
तीज जैसा व्रत कठिन करती रही;
भावना मन प्रेम की पलती रही।
उम्र उनकी मुझसे’ ज्यादा हो सदा ।
जप यही वो तीज में रटती रही ।।
कह रहे थे आऊंगा आये नहीं ।
दूरियां मुझको बहुत खलती रही ।
ये में’री बाली पिया ने दी मुझे ।
रोब सखियों को दिखा हंसती रही ।
डाल दे यमराज को चक्कर में’ जो ।
हैं यही वह नारियां डरती नहीं ।
आग में है कूदकर जौहर किया ।
हैं अमर पीकर गरल मरती नहीं ।
छोड़कर माँ बाप को वो आ गयी ।
प्रेम में बनकर शहद घुलती रही ।
है वरण उसने किया जगदीश को ।
जानकी राधा कभी बनती रही ।
*******************************
वीर पटेल