तिरोभाव
हमारे नेह के वे पल विसर्जित कर दिए हमने
मिलन के वे सुनहरे क्षण तिरोहित कर दिए हमने
कभी आहवान करते थे तुम्हारा आगमन तो हो
क्षणिक ही सही नैनो को दरस मनभावन तो हो
विरह जल में मृदुल वे भाव प्रवाहित कर दिए हमने
तिमिर के दीप हम लघु पर तुम्हें थी चाहना रवि की
कुबेरों की सभा में कैसे हो सराहना कवि की
विदा के वचन आजीवन सुरक्षित कर दिए हमने