” तिरंगे में लिपटी जवानी कहाँ है “
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दुआ बन्दगी की निशानी कहाँ है ।
मरा आँख में आज पानी कहाँ है ।
सिसकती मेरे देश की आज सरहद ।
बता और कीमत चुकानी कहाँ है ।
हरिश्चंद जैसे कहाँ सत्यवादी ।
कहाँ अब वो राजा वो रानी कहाँ है ।
मुझे जो यहाँ पर कशिश खींच लायी ।
मैं आवाज देता दिवानी कहाँ है ।
मेरा दिल चुराया तो लौटा उसे दो ।
मेहरबान थे मेहरबानी कहाँ है ।
दुआ मुझको देती जुदाई को सहकर ।
वफ़ा की वो कसमें निभानी कहाँ है ।
पिला दो हमे आज नजरों से साकी ।
बहुत ब्रांड बदले पुरानी कहाँ है ।
निशानी लगाकर के सीने से रक्खी ।
बढ़ा हाथ कह दे पिन्हानी कहाँ है ।
बसा बीच सरहद पे लें आशियाँ हम ।
बता दूरियां अब मिटानी कहाँ है ।
चला वीर हूँ आज सबसे जुदा हो ।
तिरंगे में लिपटी जवानी कहाँ है ।
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वीर पटेल