तिरंगा हमारी शान
तिरंगा हमारी आन बान और शान हैं
मां भारती के सपूतो का स्वाभिमान हैं
शत् शत् नमन अमर बलिदानों को
लहू की होली खेल गये वीर जवानों को
मिट गए जो देश हित खातिर परवानों को
मां भारती के मुकुट की शोभा बढ़ाने वालोें को
कहां तक वर्णन करूं अनगिनत बलिदान है
मां तेरे लाडले सपूतों से ही देश महान है
एकता अखंडता संप्रभुता इसकी पहचान है
सोन चिरैया कहलाता मेरा भारत महान है
उत्तर में गिरिराज हिमालय बनकर खड़ा प्रहरी सा
दक्कन में हिन्द महासागर इसके सजग सरीखा
नदियां कल कल बहती जिसका पुण्य प्रवाह है
रज के कण कण में ओज भरा
वेदों और पुराणों की यह भूमि
राम कृष्ण के अवतारों की यह धूलि है
आज विश्व में जिसका जयघोष हो रहा
अन्तरिक्ष में पहुँच इसकी और सैन्य बल है जोश भरा
विषमताओं की अग्नि में भी स्वर्ण सा तप के निखरा
आत्मनिर्भर बन आज नव निर्माण करने चला
रिपु की गीदड़ भभकी पर सिंह सी दहाड़ भरा
तिरंगा जिसके उन्मुक्त गगन में लहरा रहा
देखो नील गगन जिस पर इतरा रहा
पवन वेग से हिलोरें ले गुणगान करता
रवि निज किरणों का रथ हाँक रहा
गगन से मानों तिरंगे को ही झाँक रहा
यह तिरंगा हमारी पहचान है
भारत भूमि का सम्मान है
तिरंगा हमारी आन बान और शान हैं
मां भारती के सपूतो का स्वाभिमान हैं
तिरंगा हमारी आन बान और शान हैं
नेहा
खैरथल अलवर (राजस्थान)