तिरंगा जहाँ में सदा लहलहाए।
ग़ज़ल
122……122……122……122
तिरंगा जहाँ में सदा लहलहाए।
मेरा देश हरदम हँसे मुस्कुराए।
किसी भी दशा में भी दुश्मन के आगे,
खुदाया कभी सिर न अपना झुकाए।
के बर्बादी के ढेर पर है ये दुनियां,
झपकते पलक ये कहीं मिट न जाए।
तबाही का मंजर है चारों तरफ ही,
दुआएं करो के उन्हें अक्ल आए।
अगर कर सको तो करो कुछ भी ऐसा,
के हर कोई नगमें ग़ज़ल गीत गाए।
है उम्मीद पर ही टिकी सारी दुनियां,
हुआ कम अँधेरा उजाला भी आए।
बँधो विश्व बंधुत्व की भावना से,
ये सारा जहाँ फिर हँसे खिलखिलाए।
……,✍️प्रेमी