तिनके वटोर रही हवाये वाहे पसार रही स्नेह धाराये लग जा गले सनम मिट जाए सारी दुआये तिनके वटोर रही हवाये।
आज ऐसा संजोग तेरे मेरे मिलने का योग दे खो अम्बर में रंग छाये मौसम खुशहाली लाये। नव सुमन फिर खिल आए मिलने के सब पल आये । मन मीत मेरे अब दूरी कैसी पास आके अब मिटादो ह्दय की सारी फरियादें ।।तिनके बटोर रही हबाये ।। स्नेह की डोर अब न खिझाये एक दूसरे के बीच में अब यह दूरी न रह जाये ।बाध एक डोर मेरे ह्दय से तेरे हदय में क्योंकि विचलित न हो एक क्षण भी फिर न बढ जाये मेरे हदय की स्नेह है जो मेरा आप से कही और न जाये ।।तिनके बटोर रही हबाये बाहे पसार रही स्नेह धाराये लग जा गले सनम मिट जाए सारी दुआये तिनके बटोर रही हबाये।।