तितली
काश की मैं एक तितली होती ।
नीली पीली चमकीली सी,
रंगो वाली चटकीली सी।
फूलों के ऊपर मंडराती,
कलियों का मैं जी बहलाती।
अपनी साथी ति तली के संग,
कही न कही निकली होती।
काश की …………………।
बच्चों को हैरान करती,
थोड़ी सी परेसान करती।
इधर उधर मैं नाच दिखाती,
ना मैं कुछ नुकसान करती।
कभी पास आ दूर हो जाती,
जैसे नभ की बिजली होती।
काश की…………………..।
प्यारे होते रंग हमारे,
लुभावने से अंग हमारे।
फूलों का रस मैं चख लेती,
जुटा -जुटा के मैं रख लेती।
सैर सपाटे खूब मैं करती,
चाहे काली उजली होती।
काश की………………..।