” तितलियांँ”
” तितलियांँ”
प्यारी प्यारी तितलियाँ,
सबके मन को भाती है।
हाथ न किसी की आती है,
दूर दूर उड़ती जाती है।
रंग बिरंगे तितलियाँ,
फूलों पर मंडराती है।
क्या कहती है कानों में उसके,
वे भी खिल खिल जाती है।
प्यारी प्यारी…………….।
✍️ योगेन्द्र चतुर्वेदी