31. तालियों में
कोरे कागज़ पर दाग लगता रहा,
और वो तालियों में मसगुल रहे।
सच्ची सूरत पर झूठ सजता रहा,
और वो तालियों में मसगुल रहे।
उनके खून में घुल गई थी
जो इश्क की चाशनी,
बदन पर ताज चुभता रहा
और वो तालियों में मसगुल रहे।
हसरतें चाहतें खो चुके थे वो भी कब हीं,
दिल का बाग़ उजड़ता रहा
और वो तालियों में मसगुल रहे।
घुमंतू दिल की ज़ुबानी कह ना सकेगा फिर कभी,
इकलौता आशियाँ जलता रहा
और वो तालियों में मसगुल रहे।।
~घुमंतू