तारीफ़ किस चिड़िया का नाम है ?
क्यों आज नहीं आओगे
कुछ कहने कुछ सुनाने ?
कुछ ताने मारने
कोई नुक्ता -चीनी करने ?
आज नहीं बोलोगे की सब्जी में नमक ज़्यादा है ?
आज नहीं बोलोगे की तुमको एक ढंग नहीं काम करने का ,
आज नहीं कहोगे की क्या सिखा के भेजा है माता – पिता ने तुमको ?
आज नहीं कहोगे की ये मसालों – आटों की गंध में लिपटी
तुम कितनी बदसूरत हो ,
तीस की उम्र में चालीस की दिखती हो
तुम कितनी बुरी हो ,
क्यों नहीं कहते कुछ आज ?
रोज़ ये ही सुनते सुनते भूल गयी हूँ की दस साल से
मैंने कुछ अच्छा बनाया हो तो तुमने तारीफ की हो ,
कभी श्रृंगार किया हो तो तुमने मुझे देखा हो ,
मुझे आदत सी हो गयी है –
अपनी बुराइयां सुनने की …
मैं भूल चुकी हूँ तारीफ शब्द …
हाँ मैं ‘तारीफ’ किस चिड़िया का नाम है मैं नहीं जानती |
द्वारा – नेहा ‘आज़ाद’