तारिणी वर्णिक छंद का विधान
तारिणी वर्णिक छंद का विधान
पिंगल सूत्र -नगण सगण यगण सगण
१११ ११२. १२२. ११२
वतन मन में सदा ही रहता |
नमन करके सभी से कहता |
लगन रहती इसी भारत से –
चमन सुखदा यहाँ ही बहता |
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मन मगन है वहाँ पै शबरी |
कब समझती यहाँ पै शबरी |
झट सरस बेर लाई प्रभु को –
परस करती जहाँ पै शबरी |
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सिय लखन देखते ही कहते |
नमन लख भावना में बहते |
भजन यह राम का है जग में –
शरण प्रभु धाम ऐसे रहते |
सुभाष सिंघई