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18 Aug 2020 · 1 min read

ताटंक छंद

ताटंक छंद
*** *** ***

चले गए गोरे भारत से,
डोर थाम ली कालो ने,
गोरो ने था इस को लूटा,
खूँ चूसा घरवालों ने !!
खाकी खादी मिलकर चलते,
हाथ मिलाते चोरो से,
ज़ुल्म देश की जनता सहती,
आस धरे मुफ्त खोरो से !!

जिनके दम पर मौज उड़ाते,
भूल गए उन वीरो को,
पत्थर समझे, ठुकराते है,
भारत माँ के हीरों को !!
आज नहीं तो कल जानोगे,
करनी भरनी ही होती,
मांगे पर ना मिलेगा पानी,
आँखे रह जाए रोती !!
__ __ __

स्वरचित :- डी के निवातिया
____________________

Language: Hindi
2 Likes · 4 Comments · 488 Views
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