ताटंक छंद आधारित मुक्तक
!! श्रीं !!
अपनी हम समृद्ध विरासत, दुनियाँ को दिखलायेंगे ।
कीर्ति पताका फिर अपनी हम , इस जग में फहरायेंगे ।।
है अनुपम सिद्धांत अनूठा, जियो और जीने दो का ।
प्रेम प्रकाशित हो हर घट में , ऐसी ज्योति जलायेंगे ।।
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महेश जैन ‘ज्योति’,
मथुरा !
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