ताजन हजार
आया न सन्देश तेरा बढ़ता है क्लेश मेरा
कब तक जागि-जागि धीरज बधाएगी
नैन तृषा दूर करो प्यार भरपूर करो
अब ये जुदाई रूह सह नहीं पाएगी
कोमल करेजा थाम बैठूँ नित आठों याम
पल-पल तेरी याद मुझे तड़पायेगी
आओ मनमीत मेरे जिंदगी के प्रीत मेरे
तेरे बिन जिंदगी अधूरी रह जायेगी ।।
ताजन हजार मिले घर में न प्यार मिले
तेरे बिना मन ये बहकता ही जाएगा
चूर-चूर होगा मन मुकुर हमारा सुनो
पाहन-वियोग जो बरसता ही जायेगा
तन-मन बेकरार रुके नहीं अश्रु धार
दुख विकराल नित बढ़ता ही जायेगा
मेरे मनमीत आओ प्यार भरा गीत गाओ
तुझसे ही मंजु-हिय-कंज खिल पायेगा
डॉ० छोटेलाल सिंह ‘मनमीत’