तहरीर लिख दूँ।
बह्न :- बह्र-ए-रमल मुसद्दस सालिम
अर्कान :- फ़ाइलातुन् फ़ाइलातुन् फ़ाइलातुन्
वज़्न :- 2122 2122 2122
रदीफ़ :- लिख दूँ
काफ़िया-ईर
गीत ग़ज़लों में तेरी तस्वीर लिख दूँ।
लफ्ज़ में ढलती तेरी तहरीर लिख दूँ।
ये तमन्ना आखिरी है इक मेरी बस
आसमां पे इश्क की तक़दीर लिख दूँ।
जिसमें मैं हूँ और मैं केवल सनम हूँ
तेरे दिल को मैं अपनी जागीर लिख दूँ।
बेवफ़ाई चैन से जीने न देगी।
चल जफ़ा को तेरी तंज-ओ तीर लिख दूँ।
ये अँधेरे ढूंढ़ ही लेते हैं उसको
बोल ‘नीलम’ को कैसे तनवीर लिख दूँ।
नीलम शर्मा ✍️