{{ तस्वीर }}
करनी थी जो तुमसे कितनी ही बाते ,
वो तेरी तस्वीर से करते हैं हम ,,
लम्बी कतार थी तेरे दिल के रास्ते में ,
कभी तेरे दिल मे थे , आज बाहर बैठे है हम ,,
बहुत शौक था मुझे ,तेरे महफ़िल सजाने की ,
आज तन्हा गुमनामी में जी रहे है हम ,,
अंधेरे में कितना मुर्झा और उदास सा हो गया है इश्क़,
चलो उसे थोड़ी वफ़ा की धूप, थोड़ा घुमा लाते है हम ,,
फूलो की हिफाज़त कांटे ही तो करते हैं दुनिया से ,
मेरी जा …..तेरी मोहब्बत में काँटे से ही तो है हम ,,
तेरे हर लब्ज़ को दिल के पन्ने पे उतरे है मैंने ,
तुम पास नही , बस वही पन्ने पढ़ के जी रहे है हम ,,
न कोई शर्त थी न कोई अनुबन्द में बांधा था तुझे ,
तुमसे मुझे मोहब्बत थी ,वही कर रह है हम ,,