तस्वीर-ए-दिलबर
इस शहर की रंगीनियों में,
खोए हुए दिलबर को ढूंढ़ता हूँ।
दिल में तस्वीर लिए दिलबर की,
हर किसी से उसका पता पूछता हूँ।।
लोग कहते हैं आवारा पागल दीवाना मुझे,
कोई समझे दिलजला शमां का परवाना मुझे,
बेवफाई की दुनियां में वफ़ा को ढूंढता हूँ।
दिल में तस्वीर लिए दिलबर की,
हर किसी से उसका पता पूछता हूँ।।
गम कुछ कम नहीं था उसके खो जाने का।
ढूंढने निकला घर से जब मैं उसको,
तो रास्ते में दीदार हुआ मयखाने का।।
अब छलकते जामों में गम की दवा ढूंढता हूँ।
दिल में तस्वीर लिए दिलबर की,
हर किसी से उसका पता पूछता हूँ।।
घटाओं से पूछा फ़िज़ाओं से पूछा।
आँधियों से पूछा तूफानों से पूछा,
फूलों से पूछा बहारों से पूछा।।
अमावस की रात में चाँदनी को ढूंढता हूँ।
दिल में तस्वीर लिए दिलबर की,
हर किसी से उसका पता पूछता हूँ।।
संजय गुप्ता
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